| कॉलेज में एक लड़की ने दाखिला लिया तो सारे लड़के-लड़कियों ने उसे चिढ़ाने के लिए बुआ कहना शुरू कर दिया।
कुछ दिनों तक तो उस बेचारी ने सहन किया। अंत में उसने तंग आकर प्रिंसिपल से शिकायत कर दी। लड़की की बात सुन कर प्रिंसिपल को बड़ा क्रोध आया तो वह क्लास रूम में पहुंचे और बोले, "जो भी इसे बुआ कहता है वह तुरन्त खड़ा हो जाये। एक-एक करके सारी क्लास खड़ी हो गई। केवल पप्पू बैठा रहा तो प्रिंसिपल ने बड़ी हैरानी के साथ उस से पूछा, "क्यों पप्पू तुम क्यों बैठे हो?" क्या तुम इसे बुआ नहीं कहते? पप्पू ने ठंडी सांस भरकर कहा, "सर! मैं इस क्लास का फूफा हूं।" |
| एक बार मास्टर जी अपनी क्लास के बच्चो से पूछने लगे, `बच्चो जिस तरह Twenty - 20 क्रिकेट आने से क्रिकेट देखने का मजा बढ़ गया, उसी तरह तुम्हारी परीक्षा लेने का तरीका किस तरह से रोमांचक बनाया जा सकता है?` जब कोई नहीँ बोला तो पप्पू इस सवाल का जवाब देने के लिए खड़ा हो गया। मास्टर जी उसके खुराफाती दिमाग को जानते थे। आँखें तरेरी पर फिर भी न चाहते हुए बोले, `जल्दी से बता।` पप्पू गंभीर होकर बोला, `मास्टर जी हमारा पेपर एक घंटा 20 मिनट का होना चाहिए। हर बीस मिनट के बाद छात्रों को आपस मेँ बात करने के लिए के लिए दो मिनट का `Time Off ` मिलना चाहिए। बच्चों को एक `Free Hit` मिलनी चाहिए, जिसमेँ बच्चे किसी भी एक सवाल का अपनी मर्जी से उत्तर लिख सकेँ। पहले 20 मिनट मेँ `Power Play` होना चाहिए जिसमे ड्यूटी वाला मास्टर कमरे से बाहर रहे। और हर एक सही उत्तर लिखने पर `Cheer Leaders` आकर कमरे मेँ डांस करेँ।` |
| छगन को लड़की वाले देखने आये! छगन थोडा नर्वस हो रहा था इसलिए उसने अपने दोस्त पप्पू को भी बुला लिया था! लड़की के पिता ने पूछा - `बेटा शराब पीते हो ?` छगन - `जी नहीं, शराब तो दूर की बात है मैं तो बीड़ी सिगरेट तक नहीं पीता !` लड़की का बाप - `जुआ बगैरह खेलते हो ?` छगन - `नहीं, मैंने तो कभी ताश को हाथ तक नहीं लगाया ...` लड़की का बाप - `बहुत अच्छा बेटा, एक बात और बताओ बस ... किसी लड़की -वडकी से चक्कर तो नहीं है ?` छगन - `जी नहीं ...! मैंने आज तक किसी लड़की पर बुरी नजर नहीं डाली !` लड़की का बाप अपने साथ आये आदमी से बोला - `लड़का तो सचमुच बहुत अच्छा है ...! !` यह सुनते ही छगन का दोस्त पप्पू बोला - `आप सही कह रहे हैं अंकल जी ... एकाध छोटी-मोटी कमी को छोड़ दें तो मेरा दोस्त हीरा है हीरा !` लड़की का बाप - `कमी ? कैसी कमी बेटा ?` पप्पू - `कुछ ख़ास नहीं ... बस इसे हर बात में झूठ बोलने की बुरी आदत है !!!` |
| संस्कृत की क्लास मे गुरूजी ने पूछा, "पप्पू इस श्लोक का अर्थ बताओ, "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन"। पप्पू: राधिका शायद रस्ते मे फल बेचने का काम कर रही है। गुरूजी: मूर्ख, ये अर्थ नहीं होता है. चल इसका अर्थ बता, "बहुनि मे व्यतीतानि, जन्मानि तव चार्जुन"। पप्पू: मेरी बहू के कई बच्चे पैदा हो चुके हैं, सभी का जन्म चार जून को हुआ है। गुरूजी गुस्सा हो गये फिर पूछा, "तमसो मा ज्योतिर्गमय"। पप्पू: तुम सो जाओ माँ मैं ज्योति से मिलने जाता हूँ। गुरूजी: अरे गधे, संस्कृत पढता है कि घास चरता है. अब इसका अर्थ बता, "दक्षिणे लक्ष्मणोयस्य वामे तू जनकात्मजा"। पप्पू: दक्षिण में खडे होकर लक्ष्मण बोला जनक आजकल तो तू बहुत मजे में हैं। गुरूजी: अरे पागल, तुझे 1 भी श्लोक का अर्थ नहीं मालूम है क्या? पप्पू: मालूम है ना। गूरूजी: तो आखिरी बार पूछता हूँ इस श्लोक का सही सही अर्थ बताना, "हे पार्थ त्वया चापि मम चापि"। क्या अर्थ है जल्दी से बता। पप्पू: महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण भगवान अर्जुन से कह रहे हैं कि... गुरूजी उत्साहित होकर बीच में ही कहते हैं, "हाँ, शाबाश, बता क्या कहा श्रीकृष्ण ने अर्जुन से?" पप्पू: भगवान बोले, "अर्जुन तू भी चाय पी ले, मैं भी चाय पी लेता हूँ। फिर युद्ध करेंगे।" |